उत्तर प्रदेश में होने जा रहे नगर निकाय चुनावों की तारीखों की घोषणा पर फिलहाल इलाहाबाद उच्चन्यायालय की लखनऊ खण्ड पीठ के दो न्यायाधीशों ने रोक लगा दी है। कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के मुद्दे पर दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार से ओबीसी आरक्षण नियमों का पूरा विवरण मंगलवार को देने को कहा है।
उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच में जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के मुद्दे पर दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा है।
उत्तर प्रदेश में विभिन्न निकायों में वर्तमान में सरकार ने कुछ इस तरह से सीटों का बंटवारा किया था
17 नगर निगमों में मेयर पद के लिए 2 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई हैं, इसमें 2 सीटों में एक सीट महिला के लिए आरक्षित की गई है, वहीं नगर निगम में 4 सीटें पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई हैं,जिनमें 2 सीटें महिला के लिए आरक्षित की गई हैं।
200 नगर पालिका परिषद की सीटों में से अनुसूचित जाति के लिए 27, पिछड़ा वर्ग के लिए 54 आरक्षित हैं, इसमें 79 सीटें अनारक्षित हैं। वहीं महिला के लिए 40 सीटें आरक्षित की गई हैं।
नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए 545 सीटों में अनुसूचित जाति के लिए 73 सीट, अनुसूचित जनजाति (महिला) के लिए 01 सीट, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 147 आरक्षित हैं। अनारक्षित सीटें की संख्या 217 है, महिलाओं के लिए 107 सीटें आरक्षित रखी गई हैं। मामला ओबीसी के आरक्षण का है, याचिका कर्ताओं ने कहा है कि प्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या के अनुपात में सीटें नहीं दी गईं। कोर्ट ने मंगलवार को सरकार को आदेश दिया है कि आरक्षण सम्बन्धी पूरा व्यवरा पेश करे। उसके बाद कोर्ट अपना आदेश सुनाएगा। तब तक के लिए कोर्ट ने चुनाव की तारीखों के ऐलान पर रोक लगा दी है।
रिपोर्ट: डॉ. मान सिंह